घर के भीतर का प्रदूषण बाहरी हवा से भी खतरनाक! अगरबत्ती और किचन का धुआं फेफड़ों के लिए बड़ा खतरा

Lucknow Focus News Desk: आमतौर पर लोग मानते हैं कि प्रदूषण केवल घर के बाहर ही होता है, लेकिन विशेषज्ञों (Experts) के अनुसार, घर के अंदर का वायु प्रदूषण (Indoor Air Pollution) भी सेहत के लिए उतना ही, या उससे ज़्यादा, खतरनाक हो सकता है। अगरबत्ती, धूपबत्ती और रसोई (किचन) से निकलने वाला धुआं इस इनडोर प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।
अगरबत्ती और धूपबत्ती का खतरा
खतरनाक कण: अगरबत्ती या धूपबत्ती से निकलने वाले धुएं में पीएम 2.5 (PM 2.5) जैसे छोटे-छोटे कण होते हैं, जो साँस के ज़रिए सीधे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
VOCs की उपस्थिति: इनमें वॉलेटाइल ऑर्गैनिक कंपाउंड्स (VOCs) भी होते हैं।
स्वास्थ्य जोखिम: लंबे समय तक इन कणों के संपर्क में रहने से फेफड़ों में सूजन, लगातार खांसी, अस्थमा, एलर्जी, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का खतरा बढ़ जाता है।
विशेष सावधानी: यह विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और पहले से ही सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे मरीज़ों के लिए ज़्यादा नुकसानदायक होता है।
किचन का धुआं
विशेषज्ञों का कहना है कि जिन घरों में चिमनी या उचित वेंटिलेशन की व्यवस्था नहीं होती, वहां खाना बनाने से निकलने वाला धुआं बाहर की हवा से भी ज़्यादा खतरनाक हो सकता है। इस धुएं में भी प्रदूषण की तरह ही खतरनाक कण होते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।
इनडोर प्रदूषण से बचाव के उपाय
अगरबत्ती का प्रयोग सीमित करें: इसका इस्तेमाल कम करें या फिर खुले और हवादार कमरे में ही करें।
सुरक्षित विकल्प: सुगंध के लिए एसेंशियल ऑयल डिफ्यूज़र या इलेक्ट्रिक फ्रेगरेंस उत्पादों का उपयोग करें।
कुकिंग वेंटिलेशन: खाना बनाते समय एग्जॉस्ट फैन या चिमनी का उपयोग ज़रूर करें।
कुकिंग विधि बदलें: तलने (फाइंग) की बजाय उबालना, स्टीमिंग या बेकिंग जैसी विधियां अपनाएं।
तेल को दोबारा गर्म करने से बचें: इससे निकलने वाला धुआं ज़्यादा विषाक्त होता है।
				



